Tuesday, October 11, 2005

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है !

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है ...


कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है ...
के ज़िंदगी तेरी ज़ुल्फ़ों की नर्म छाओं में
गुज़रना पाती तो शादाब हो भी सकती थी!
येह रन्झो गम कि सियाही जो दिल पें छायी है ...
तेरी नज़र की शुआओं में खो भी सकती थी!

मगर ये हो न सका .................

मगर ये हो न सका और अब ये आलम है,
के तू नहीं, तेरा ग़म तेरी जुस्तजू भी नहीं!
गुज़र रही है कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे,
इसे किसी के सहारे की आरज़ू भी नहीं!

ना कोई राह, ना मन्ज़िल, ना रोशनी का सुराग़!
भटक रहीं है अन्धेरोंमें ज़िंदगी मेरी,
इंहीं अन्धेरोंमे रह जाऊँगा कभी खोकर,
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफ़स ....मगर यूँ ही ....!

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है ......

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है ................!


One of the excellent narrations from Big B! I wish him a very very happy and prosperous life ahead!!!


Amitabh all